शॉर्ट टर्म डिलीवरी या पोजिशनल ऑप्शंस: क्या है बेहतर?- Short Term Delivery vs Positional Options Trading

Short Term Delivery vs Positional Options Trading

शेयर बाजार में निवेश करने का निर्णय लेते समय, यह जानना महत्वपूर्ण है कि शॉर्ट टर्म डिलीवरी और पोजिशनल ऑप्शंस Short Term Delivery vs Positional Options Trading में से कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर है। आइए इन दोनों विकल्पों की तुलना करें और समझें कि कौन सा आपके निवेश लक्ष्यों के लिए सही है।

शॉर्ट टर्म डिलीवरी ट्रेडिंग- Short Term Delivery vs Positional Options Trading

  1. सुनिश्चित जानकारी पर आधारित निवेश: शॉर्ट टर्म डिलीवरी में तभी निवेश करें जब आपको पूरा यकीन हो कि स्टॉक ऊपर जाएगा। यदि स्टॉक ऊपर नहीं जाता या स्थिर रहता है, तो आपका पैसा फंस सकता है और यह शॉर्ट टर्म ट्रेड लॉन्ग टर्म में बदल सकता है।
  2. स्टॉप लॉस थ्योरी का अध्ययन: शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस थ्योरी का अध्ययन करना बहुत जरूरी है। इसके लिए आपको चार्ट पैटर्न, सपोर्ट और रेजिस्टेंस का ज्ञान होना चाहिए। कुछ इंडिकेटर्स का उपयोग भी फायदेमंद हो सकता है।
  3. ग्लोबल और स्टॉक-स्पेसिफिक न्यूज पर नजर: शॉर्ट टर्म में ग्लोबल और स्टॉक-स्पेसिफिक न्यूज पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। कभी-कभी किसी स्टॉक में इतनी गिरावट आ जाती है कि उसे रिकवर करने में लंबा समय लग जाता है। उदाहरण के लिए, HDFC बैंक (12.12.2023 के डेटा के अनुसार)।

ऑप्शंस ट्रेडिंग

  1. ऑप्शन खरीदने में जोखिम: अगर आप ऑप्शन खरीदार हैं, तो 95 प्रतिशत ऑप्शन खरीदारों को नुकसान होता है। इसलिए, पोजिशनल ट्रेड्स लेने से बचें।
  2. नग्न ऑप्शन खरीदने का जोखिम: नग्न ऑप्शन खरीदने और पोजिशनल ट्रेड लेने पर जोखिम बहुत बढ़ जाता है। इसमें आपको पूरा पूंजी एक ही दिन में खोने का खतरा होता है।
  3. शत-प्रतिशत यकीन: नग्न ऑप्शन तभी लें जब आपको 100 प्रतिशत यकीन हो कि वह ऑप्शन ऊपर जाएगा, अन्यथा नुकसान निश्चित है।
  4. पोजिशनल ट्रेडिंग के लिए ऑप्शन राइटिंग: अगर आप पोजिशनल ट्रेडिंग करना चाहते हैं, तो ऑप्शन राइटिंग का सहारा लें। इसमें आप 6 महीने से एक साल तक हेजिंग करके ऑप्शन ट्रेड कर सकते हैं। इसे लॉन्ग टर्म ऑप्शंस कहा जाता है।
  5. मार्केट की दिशा की भविष्यवाणी की जरूरत नहीं: मार्केट ऊपर जाए, नीचे जाए या स्थिर रहे, ऑप्शंस के माध्यम से पैसे कमाने के विकल्प होते हैं। इसलिए, पोजिशनल ट्रेड्स लेने में मार्केट दिशा की भविष्यवाणी की जरूरत नहीं होती।
शेयर बाजार में दीर्घकालीन निवेश के फायदे

निष्कर्ष- Short Term Delivery vs Positional Options Trading

शॉर्ट टर्म डिलीवरी और पोजिशनल ऑप्शंस Short Term Delivery vs Positional Options Trading दोनों के अपने-अपने फायदे और जोखिम हैं। शॉर्ट टर्म डिलीवरी में त्वरित लाभ का मौका होता है, लेकिन यह तभी सफल होता है जब आप स्टॉक की दिशा के बारे में पूरी तरह सुनिश्चित हों। वहीं, ऑप्शंस ट्रेडिंग में पोजिशनल ट्रेड्स के माध्यम से हेजिंग और ऑप्शन राइटिंग का फायदा उठाया जा सकता है, जिससे जोखिम को कम किया जा सकता है।

शेयर बाजार में सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है। निवेशकों को बाजार की सही जानकारी और रणनीतियों के साथ निवेश करना चाहिए। हमेशा जोखिम को समझें और समझदारी से निर्णय लें।

नोट: यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है और इसे निवेश सलाह नहीं माना जाना चाहिए। निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।

4 thoughts on “शॉर्ट टर्म डिलीवरी या पोजिशनल ऑप्शंस: क्या है बेहतर?- Short Term Delivery vs Positional Options Trading”

Leave a Comment