भारतीय शेयर बाजार और मोदी सरकार: क्या कहता है आंकड़ों का विश्लेषण?

Indian stock market and Modi government

Indian Stock Market and Modi Government: भारतीय शेयर बाजार में हाल के वर्षों में बहोत से उतार-चढ़ाव देखने को मिले है, विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान। 2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद, शेयर बाजार में एक उछाल देखा गया था। निवेशकों में आशा की लहर दौड़ी और बाजार ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। कई सेक्टर, जैसे कि बैंकिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और आईटी, ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया।

हालांकि, 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही वैश्विक आर्थिक मंदी और कोविड-19 महामारी जैसी चुनौतियों ने निवेशकों के सामने नई बाधाएं खड़ी कर दीं। इसके बावजूद, सरकार ने कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों की घोषणा की, जिनका उद्देश्य दीर्घकालिक आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना था।

CLSA (Credit Lyonnais Securities Asia) की एक रिपोर्ट के अनुसार, ४ जून की गिरावट में जिन शेयरों को नुकसान हुवा था, उसमे से अबतक 54 में से केवल 8 स्टॉक्स ने प्री-एग्जिट पोल स्तर तक वापसी की है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि निवेशकों के लिए यह अवधि चुनौतीपूर्ण रही है। रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसे प्रमुख स्टॉक्स ने बेहतर प्रदर्शन किया, जबकि अन्य स्टॉक्स ने अपेक्षानुसार वापसी नहीं की।

वैश्विक आर्थिक मंदी और कोविड-19 महामारी के चलते व्यापार और उद्योगों पर गहरा प्रभाव पड़ा, जिससे शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ी। इसके साथ ही, सरकार द्वारा किए गए नीतिगत सुधारों का दीर्घकालिक लाभ हो सकता है, लेकिन अल्पकालिक में इनका प्रभाव सीमित रहा।

बैंकिंग सेक्टर ने सरकार के नीतिगत सुधारों का लाभ उठाया। नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPAs) में कमी आई और डिजिटल बैंकिंग की ओर बढ़त देखने को मिली। इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में भी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं, जैसे कि भारतमाला परियोजना, स्मार्ट सिटी मिशन और प्रधानमंत्री आवास योजना का सकारात्मक प्रभाव देखा गया।

आईटी और तकनीकी सेक्टर ने अपनी नवाचार और वैश्विक मांग के कारण मजबूत प्रदर्शन किया। डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं ने इस सेक्टर को प्रोत्साहित किया।

जुआ खेलकर बर्बाद हो सकते हो, फिर शेयर बाजार में क्यों नहीं?

अब नरेंद्र मोदी तीसरी बार सरकार बनाने जा रहे है, इसलिए निवेशकों के लिए यह सुझाव दिया जाता है कि वे दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाएं और छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव से प्रभावित न हों। साथ ही, निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिए ताकि जोखिम को कम किया जा सके। सरकार के नीतिगत सुधारों का लाभ उठाकर सही समय पर निवेश करना भी एक उचित रणनीति हो सकती है।

इन सबके बीच, भारतीय शेयर बाजार में निवेश करना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है, लेकिन सही दृष्टिकोण और रणनीति अपनाकर निवेशक लाभ कमा सकते हैं।

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